जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । |
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥ |
एकानन चतुरानन पंचानन राजे । |
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥ |
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। |
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥ |
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । |
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥ |
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । |
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥ |
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । |
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥ |
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । |
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥ |
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । |
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥ |
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । |
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥ |
Wednesday 2 April 2014
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
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