जागो हे
महा काल, जागो जीवन आधार, |
भसम करो पापी के पाप को, |
धरती पुकारे प्रभु आपको । |
|
तुम को जगा रहा नीला गगन । |
तुम को जगाये प्रभु पूरा पवन ॥ |
|
कंदों पे नुसत धरो , डमरू पे
ताल दो । |
तीसरे नयन की आज ज्वाला निकाल
दो ॥ |
|
फूंक दो यह कष्टों की कालिमा । |
भरदो कानो में नयी लालिमा ॥ |
No comments:
Post a Comment