भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी वृन्दावन आ गए |
इक दिन वो भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी ब्रज में आ गए |
पार्वती भी मना के हारी ना माने त्रिपुरारी ब्रज में आ गए |
पार्वती से बोले मैं भी चलूँगा तेरे संग मैं |
राधा संग श्याम नाचे मैं भी नाचूँगा तेरे संग में |
रास रचेगा ब्रज मैं भारी हमे दिखादो प्यारी |
ओ मेरे भोले स्वामी, कैसे ले जाऊं अपने संग में |
श्याम के सिवा वहां पुरुष ना जाए उस रास में |
हंसी करेगी ब्रज की नारी मानो बात हमारी |
ऐसा बना दो मोहे कोई ना जाने एस राज को |
मैं हूँ सहेली तेरी ऐसा बताना ब्रज राज को |
बना के जुड़ा पहन के साड़ी चाल चले मतवाली |
हंस के सत्ती ने कहा बलिहारी जाऊं इस रूप में |
इक दिन तुम्हारे लिए आये मुरारी इस रूप मैं |
मोहिनी रूप बनाया मुरारी अब है तुम्हारी बारी |
देखा मोहन ने समझ गये वो सारी बात रे |
ऐसी बजाई बंसी सुध बुध भूले भोलेनाथ रे |
सिर से खिसक गयी जब साड़ी मुस्काये गिरधारी |
दीनदयाल तेरा तब से गोपेश्वर हुआ नाम रे |
ओ भोले बाबा तेरा वृन्दावन बना धाम रे |
भक्त कहे ओ त्रिपुरारी राखो लाज हमारी |
Thursday 27 March 2014
भोले भंडारी बन करके ब्रज की नारी वृन्दावन आ गए
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