हे भोले शंकर पधारो बैठे छिप के कहाँ । |
गंगा जटा में तुम्हारी, हम प्यासे यहाँ ॥ |
महा सती के पति मेरी सुनो वंदना । |
आओ मुक्ति के दाता पड़ा संकट यहाँ ॥ |
बगीरथ को गंगा प्रभु तुमने दी थी, |
सगर जी के पुत्रों को मुक्ति मिली थी । |
नील कंठ महादेव हमें है भरोसा है, |
इच्छा तुम्हारी बिना कुछ भी नहीं होता ॥ |
हे भोले शम्भू पधारो किस ने रोके वहां, |
आयो भसम रमयिया सब को तज के यहाँ ॥ |
मेरी तपस्या का फल चाहे लेलो, |
गंगा जल अब अपने भक्तो को दे दो । |
प्राण पखेरू कहीं प्यासा उड़ जाए ना, |
कोई तेरी करुना पे उंगली उठाए ना ॥ |
भिक्षा मैं मांगू जन कल्याण की, |
इच्छा करो पूरी गंगा सनान की ॥ |
अब ना देर करो, आ के कष्ट हरो, |
मेरी बात रख लो, मेरी लाज रख लो ॥ |
हे भोले गंगधार पधारो, डोरी टूट जाए ना, |
मेरा जग में नहीं कोई तुम्हारे बिना ॥ |
नंदी की सौगंध तुमे, वास्ता कैलाश का, |
बुझ ना देना दीया मेरे विशवास का । |
पूरी यदि आज ना हुई मनोकामना, |
फिर दीनबंधू होगा तेरा नाम ना । |
भोले नाथ पधारो, तुमने तारा जहां, |
आओ महा सन्यासी अब तो आ जाओ ना ॥ |
Friday 28 March 2014
हे भोले शंकर पधारो बैठे छिप के कहाँ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment